चैत्र माह की पूर्णिमा पर स्नान और दान करने से खत्म होते हैं पाप

चैत्र माह की पूर्णिमा 8 अप्रैल को है। नए संवत्सर की पहली पूर्णिमा होने से ग्रंथों में इसे महत्वपूर्ण पर्व माना गया है। इसे मधु पूर्णिमा या चैते पूनम भी कहा जाता है। इस पर्व पर सूर्योदय से पहले उठकर तीर्थ या पवित्र नदियों में स्नान किया जाता है। सूर्य को अर्घ्य देकर दिनभर दान, व्रत और भगवान विष्णु की पूजा का संकल्प लिया जाता है। इसलिए इसे स्नान और दान की पूर्णिमा भी कहा जाता है।


धर्मसिंधु ग्रंथ और ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार चैत्र माह की पूर्णिमा पर तीर्थ स्नान, दान, व्रत और भगवान विष्णु की पूजा करने से जाने-अनजाने में हुए पाप खत्म हो जाते हैं। इस दिन किए गए विष्णु पूजन से देवी लक्ष्मी भी प्रसन्न होती हैं। इस दिन चंद्रमा भी सौलह कलाओं से पूर्ण होता है। ग्रंथों के अनुसार इस दिन एक समय भोजन करके पूर्णिमा, चंद्रमा या सत्यनारायण का व्रत करें तो सब प्रकार के सुख, सम्पदा और श्रेय की प्राप्ति होती है।


चैत्र पूर्णिमा महत्व और इससे जुड़ी महत्वपूर्ण बातें



  1. पूर्णिमा को मन्वादि, हनुमान जयंती तथा वैशाख स्नानारम्भ किया जाता है।

  2. इसी दिन भगवान श्री कृष्ण ने ब्रज में उत्सव रचाया था, जिसे महारास के नाम से जाना जाता है।यह महारास कार्तिक पूर्णिमा को शुरू होकर चैत्र की पूर्णिमा को समाप्त हुआ था।

  3. चैत्र मास की पूर्णिमा के दिन स्त्री पुरुष बाल वृद्ध सभी पवित्र नदियों में स्नान करने के अपने को पवित्र करते हैं। 

  4. इस दिन घरों में लक्ष्मी-नारायण को प्रसन्न करने के लिये व्रत किया जाता है और सत्यनारायण की कथा सुनी जाती है।

  5. चैत्र शुक्ल पूर्णिमा को हनुमान जी का जन्मदिवस मनाया जाता है। इस दिन हनुमान जी को सज़ा कर उनकी पूजा अर्चना एवं आरती करें,भोग लगाकर सबको प्रसाद देना चाहिये।

  6. चैत्र माह की पूर्णिमा पर किसी पवित्र नदी में स्नान करने के बाद जरूरतमंद लोगों को भोजन या धन का दान किया जाता है। 

  7. चैत्र माह की पूर्णिमा पर अन्न, पानी, जूते-चप्पल, सूती कपड़े और छाते का दान करना बहुत ही शुभ माना जाता है।